रंगीन फिल्मों पर जो ईस्टमैन कलर लिखा होता है, वह कोडक संस्थापक जॉर्ज ईस्टमैन के नाम से ही है। लेकिन अब सिनेमा में भी तेजी से डिजिटल युग आ रहा है। परंपरागत सैल्यूलाइड की रील पर अब भी कुछ लोग फिल्म शूट करते हैं, लेकिन इसका दौर खत्म हो रहा है। अब सिनेमाघरों में भी फिल्में डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिये दिखाई जाती हैं। जो ऐतिहासिक व महान फोटोग्राफ या फिल्में कोडक की रीलों पर उतारी गई हैं, वे भी अब हम डिजिटल रूप में ही देखते हैं। कोडक के उत्थान और पतन की कहानी यही बताती है कि इतिहास की घड़ी में एक शताब्दी भी ‘कोडक मोमेंट’ से ज्यादा नहीं होती।
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